जल रही है धरती इंसानियत में आग लगे है
जल रही है धरती इंसानियत में आग लगे है
हैवान बन चुके है फरिश्ते भी और सत्ता धारी पूछते है अब तक आम  लोग तो शांत बैठे हैं
बेच आए हैं कफ़न भी ये वतन के नाम का अब कब्र की मिट्टी बेचने आए हैं
जलाकर बंगाल को अब ये दिल्ली जलाने आए है
उजड़ रहे है घर लोगो के तो इनका क्या ये तो वोट बैंक बनाने आए हैं

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