यूं तो किस्से बहुत थे तेरे सादगी भरे मोहब्बत के
मै उन किस्सों को पढ़ना चाहता था चुपके से ही सही
मगर उन किस्सों के पन्नों के बीच एक कोरा पन्ना मिला
जिसपे मैंने अपना नाम लिखना चाहता था
लेकिन उस कोरे पन्ने पर जब मेरे मोहब्बत की गहरी रोशनी पड़ी तो वो कोरा पन्ना कोरा नहीं उस पर किसी और का नाम था
हा वो किस्सा पहले ही नाम था उस किस्से के कहानीकार का कुछ और नाम था
मैंने कोशिश भी ना की मिटाने की उस पन्ने को चुराने की बस पलटता रहा उस पन्ने को इसी उम्मीद में कि काश कही कोई और कोरे पन्ने का टुकड़ा ही सही मिल सके जिसपर मै अपना नाम लिख सकू.
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